हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल जीत हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन, कई वर्तमान सांसद और संभावित उम्मीदवार टिकट बदलने की असमंजस के चलते प्रचार में उतर नहीं पा रहे हैं। इससे उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं।

पार्टी कार्यकर्ताओं को यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए माहौल बनाएं या गठबंधन के लिए। हरियाणा की सभी 10 सीटों पर इस समय भाजपा के सांसद हैं। कांग्रेस ने इनमें से 9 सीटों पर आप के साथ गठबंधन किया है और कुरुक्षेत्र की सीट आप को दे दी है।

लेकिन, बाकी 9 सीटों पर न तो कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किए हैं और न ही अंतिम रणनीति कार्यकर्ताओं तक पहुंचाई है।

भाजपा भी सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद रेवाड़ी से चुनाव अभियान की शुरुआत कर राज्य के महत्व को स्वीकारा है। लेकिन, अभी तक किसी भी सांसद का टिकट फाइनल नहीं किया गया है।

राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा है कि कई सांसदों की सीट बदली जा सकती है या मजबूत उम्मीदवार मिलने पर कुछ का टिकट कट सकता है। भाजपा कार्यकर्ताओं के सामने सबसे बड़ा मसला यह है कि डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा से किसी लोकसभा सीट पर समझौता होगा कि नहीं।

सांसदों और उम्मीदवारों के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की दुविधा के चलते चुनावी रंग अभी तक नहीं चढ़ सका है। न तो कोई संभावित उम्मीदवार बैनर, होर्डिंग और तीज-त्योहार के बधाई संदेश लगा पा रहा है और न ही कार्यकर्ताओं में जोश भर पा रहा है।

हालांकि, विवाह के मुहूर्त के चलते उम्मीदवार हर न्योते और आयोजनों में शिरकत करने पहुंच रहे हैं।