हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को लाभ पहुंचाने के लिए हथिनी कुंड बैराज के पास लगभग 6134 करोड़ रुपये की लागत से बांध बनाने की परियोजना पर्यावरण मंजूरी के अभाव में अटकी हुई है। सिंचाई विभाग ने इस मामले को दिल्ली में सेंटर वाटर कमिश्नर के समक्ष रखा है और अब आगे के आदेशों का इंतजार किया जा रहा है।

यह परियोजना न केवल चारों राज्यों को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराएगी, बल्कि बाढ़ की समस्या से भी राहत देगी। पांच साल से चल रही इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश से पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता है, जो अभी तक नहीं मिली है।

बांध के लिए जगह का सर्वेक्षण पहले ही किया जा चुका है और यदि यह परियोजना पूरी होती है तो यह हरियाणा का सबसे बड़ा बांध होगा। इसके बनने से यमुना के किनारे बसे क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या से बड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा, 250 मेगावाट बिजली उत्पादन भी होगा।

बांध के पानी से सूखे की स्थिति में 1.25 लाख एकड़ भूमि को सिंचित किया जा सकेगा। 14 किलोमीटर लंबा जलाशय बनाया जाएगा और 5400 एकड़ भूमि का उपयोग होगा। इसमें एनएच 73 का 11 किलोमीटर हिस्सा और नौ गांव शामिल होंगे, जिनमें हरियाणा के चार और हिमाचल के पांच गांव शामिल हैं।

सिंचाई विभाग के एक्सईएन सुरेंद्र कुमार ने बताया कि यह परियोजना महत्वपूर्ण है और इससे काफी लाभ होगा, लेकिन हिमाचल सरकार से अभी तक पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि कई बार हिमाचल सरकार से पत्राचार किया जा चुका है और अब यह मामला दिल्ली में सेंटर वाटर कमिश्नर के समक्ष रखा गया है। आगे के आदेश मिलने के बाद ही परियोजना आगे बढ़ पाएगी।