मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सीटों को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हुई लड़ाई से ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर दलों के बीच चल रही कई गलतफहमियां दूर हो गई हैं। सपा प्रमुख अखिलेश के बयानों और कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप से मामला सुलझने के बाद दो बातें साफ हो गई। पहली ये कि विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर सपा की जिद, ‘आप’ की हठ और कांग्रेस के सख्त रूख से स्पष्ट हो गया कि इंडिया का गठन राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकजुटता और भाजपा के खिलाफ लोकसभा में विपक्ष का एक कद्दावर उम्मीदवार उतारने की मोटी सहमति तक ही सीमित है। इसका विधानसभा या उससे निचले स्तर के चुनावों से कोई लेना देना नहीं है। दूसरी बात यह स्पष्ट हो गई कि जिस राज्य में इंडिया गठबंधन की जिस पार्टी का प्रभुत्व होगा, ड्राइविंग सीट पर वही पार्टी होगी और बाकी दल रोड़ा नहीं बनेंगे। सूत्रों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 270 सीटें कांग्रेस के पास रहेगी जबकि 270 सीटें अन्य सहयोगी दलों को देने की तैयारी है।
यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की सीट का फैसला राज्य यूनिट करेगी
फिलहाल सीट शेयरिंग को लेकर मोटी सहमति के अनुसार 270 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर होगी जबकि बाकी 270 सीटें ऐसी हैं, जहां गठबंधन के दलों को सीटों का साझा करना है। इनमें 4 राज्यों के लिए बंटवारे का फैसला स्टेट यूनिटों पर छोड़ा जा रहा है जबकि 4 राज्य कठिन माने गए हैं, इसलिए उनका फैसला पार्टी के शीर्ष नेता करेंगे। महाराष्ट्र 48, बिहार 40, तमिलनाडु 39 और उत्तर प्रदेश 80 की सीटें कांग्रेस, एनसीपी, शिवेसना उद्धव, द्रमुक, जेडीयू, आरजेडी और सपा मिलकर करेंगी। इन राज्यों में 197 सीटें हैं।
मुश्किलः चार राज्यों की 82 सीटों का बंटवारा सबसे आखिरी चरण में होगा
केरल 20, बंगाल 42, पंजाब 13 और दिल्ली 7 की सीटों को बंटवारे के लिए कठिन मानते. हुए सबसे आखिरी फैसले के लिए रखा गया है। समन्वय समिति के एक सदस्य ने भास्कर से कहा कि केरल में यह बंटवारा होना संभव नहीं लगता जबकि बंगाल में भी सहमति बनेगी वह कांग्रेस और तृणमूल के बीच ही बनेगी। पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सहमति के लिए पूरी ताकत झोंकनी पड़ सकती है। इन 4 राज्यों में 82 सीटें हैं।
तैयारी: इंडिया समन्वय समिति की बैठक दिसंबर के आरंभ में होगी
सूत्रों के अनुसार दिसंबर के पहले सप्ताह में इंडिया की समन्वय समिति की बैठक होगी। इसमें गठबंधन के शीर्ष नेताओं की अगली बैठक का फैसला होगा। इस दौरान कैंपेन कमेटी संयुक्त रैलियों की रूपरेखा तय करने में जुटी है। संयुक्त रैलियों के पटना, नागपुर, कोलकाता और चेन्नई को प्राथमिकता में रखा गया है। इनके अलावा 3 वर्किंग गुटों की बैठकें भी चल रही हैं। इनमें सोशल मीडिया, शोध और मीडिया ग्रुप की रिपोर्ट तैयार की जा रही हैं।
फैसला टलने की वजहः कांग्रेस का फोकस अभी विधानसभा चुनावों पर सीटों के बंटवारे और इसके फार्मूले को लेकर अनौपचारिक वार्ताओं के दौर समन्वय समिति की बैठक के सदस्यों के बीच संवाद चल रहे हैं। समन्वय समिति की अभी तक एकमात्र बैठक हुई है । उसमें तय किया था कि अक्टूबर के आखिर तक कोई फार्मूला निकल आएगा। 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से कांग्रेस ने इस बारे में पॉज बटन दबा रखा है। इंडिया गठबंधन के बाकी दलों ने इस बात को समझा है कि कांग्रेस का जोर चुनावों पर लगाना चाहती है।