राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बहुमत हासिल किया है। पार्टी ने 108 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 73 सीटें मिलीं। भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए मंथन तेज हो गया है।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। समिति राजस्थान का दौरा कर रही है और नेताओं से बातचीत कर रही है।
भाजपा के राजस्थान में कई दावेदार हैं। इनमें प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री गुलाबचंद कटारिया शामिल हैं।
पूनियां को भाजपा के अंदरूनी खेमे का दावेदार माना जा रहा है। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और चुनाव में भाजपा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। राजे को पार्टी का बाहरी खेमे का दावेदार माना जा रहा है। वह दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। कटारिया को पार्टी के वरिष्ठ नेता माना जाता है और वह पार्टी के अंदर अच्छी पकड़ रखते हैं।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक किसी भी नाम पर मुहर नहीं लगाई है। पार्टी के अंदरूनी मंथन जारी है और जल्द ही नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी।
असमंजस के पीछे कारण
राजस्थान में भाजपा के लिए नए मुख्यमंत्री का चयन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। पार्टी के अंदर कई दावेदार हैं और हर कोई अपने लिए दावा कर रहा है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए एक निर्णय लेना होगा।
इसके अलावा, राजस्थान में पिछले साल हुए पेपर लीक प्रकरण ने भी भाजपा को मुश्किल में डाला है। इस प्रकरण में भाजपा के कई नेताओं के नाम सामने आए हैं। पार्टी को इस प्रकरण से बचने के लिए एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में चुनना होगा जो इस प्रकरण से दूर हो।
नए मुख्यमंत्री के चयन पर असर डालने वाले कारक
राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के चयन पर कई कारक असर डाल सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
- भाजपा के अंदरूनी राजनीति
- पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का फैसला
- राजस्थान की राजनीतिक परिस्थितियां
- पेपर लीक प्रकरण
इन कारकों को ध्यान में रखते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को एक निर्णय लेना होगा।