हरियाणा के नूंह जिले के बच्चे चंडीगढ़ से सटे पंजाब के वन्य क्षेत्र में अवैध रूप से चल रहे मदरसे में पढ़ते मिले हैं। इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (एनसीआरसी) ने हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर 10 दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

एनसीआरसी की टीम ने चंडीगढ़ से सटे पंजाब के अंतर्गत न्यू चंडीगढ़ क्षेत्र के गांव सिसवां में वन क्षेत्र का दौरा किया। यहां अधिकतर जमीन वन विभाग की है। इस इलाके में ज्यादातर वीआईपी ने अपने फार्म हाउस बनाए हुए हैं। इन्हीं फार्म हाउस के बीच में एक मदरसा चल रहा था।

एनसीआरसी की टीम ने जब यहां का दौरा कर बच्चों से बातचीत की तो पता चला कि इनमें अधिकतर बच्चे हरियाणा के नूंह जिले के रहने वाले हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि मदरसे में पढ़ाने वाला मौलाना खुद पांचवी पास है।

हरियाणा के नूंह से गरीब मुस्लिम बच्चों को लाकर इस कड़ाके की ठंड में खुले जंगल में अस्थाई टीन शेड में रखकर औरंगजेब के जमाने की दीनी तालीम दी जा रही है। यहां पढ़ाने वाले मौलाना ने बताया कि कनाडा जाने के इच्छुक लोग वीजा लगने बाद यहां दरगाह पर पहुंचते हैं। उन्हीं के दान से वह मदरसा चलाते हैं।

एनसीआरसी ने इस मामले में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया है। आयोग ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा है कि उनके अधिकार क्षेत्र में अवैध रूप से मदरसा चल रहा है। इसे तुरंत प्रभाव से बंद कर रिपोर्ट की जाए।

दूसरी तरफ हरियाणा के मुख्य सचिव को जारी नोटिस में कहा गया है कि मदरसा भले ही पंजाब में चल रहा है लेकिन यहां पढऩे वाले सभी बच्चे हरियाणा के हैं। इसलिए इन सभी बच्चों का रेस्क्यू कर इनके घरों में पहुंचाया जाए। इन बच्चों के माता-पिता से विस्तृत बातचीत करके एक रिपोर्ट आयोग को भेजी जाए।

एनसीआरसी ने कहा है कि इस मामले में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि 10 दिन के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की जाती है तो आयोग आगे की कार्रवाई करेगा।