तीन राज्यों में भाजपा की शानदार जीत के बाद हरियाणा भाजपा भी “मोदी मैजिक” का लाभ उठाने के लिए तैयार है। पार्टी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की मांग की है।
हरियाणा भाजपा के इस कदम के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण यह है कि पार्टी को लगता है कि अगर दोनों चुनाव एक साथ होंगे तो भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रियता का लाभ मिलेगा। पिछले तीन राज्यों में भाजपा ने कोई मुख्यमंत्री चेहरा नहीं दिया था और चुनाव में मोदी को ही प्रचार का केंद्र बनाया था। इसका फायदा भाजपा को मिला और पार्टी ने तीनों राज्यों में जीत हासिल की।
दूसरा कारण यह है कि हरियाणा में भाजपा को एंटी-इनकमबेसी का सामना करना पड़ेगा। पार्टी 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन 2019 में उसे 10 सीटों का नुकसान हुआ था। इस बार भाजपा को 10 साल की सरकार के बाद जनता से वोट मांगना होगा।
तीसरा कारण यह है कि भाजपा को जजपा के साथ गठबंधन को लेकर भी असमंजस है। अगर दोनों चुनाव एक साथ होंगे तो भाजपा को जजपा के साथ गठबंधन पर फैसला जल्द करना होगा।
कांग्रेस को झटका देगा यह कदम
अगर हरियाणा भाजपा की मांग मान ली जाती है तो इससे कांग्रेस को भी झटका लगेगा। पिछले तीन राज्यों में कांग्रेस को भी मोदी के प्रचार का नुकसान हुआ था। कांग्रेस की पुरानी पेंशन योजना और अन्य गारंटी भी जनता के बीच नहीं चल पाईं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या केंद्र सरकार हरियाणा भाजपा की मांग मानती है या नहीं। अगर सरकार इस मांग को मानती है तो अगले साल हरियाणा में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे।