गुजरात के सूरत शहर के हेमिल अश्विनभाई मंगुकिया की यूक्रेन में लड़ाई के दौरान मौत हो गई है। हेमिल को रूसी कंपनी में नौकरी का झांसा दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें वैगनर आर्मी में शामिल कर युद्ध लड़ने के लिए भेज दिया गया। मरने से कुछ घंटे पहले ही हेमिल ने अपने परिवार से बात की थी।
हेमिल 14 दिसंबर को चेन्नई से रूस रवाना हुआ था। उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से रूसी सेना में हेल्पर की नौकरी का प्रस्ताव मिला था। रूसी कंपनी के एजेंटों के बहकावे में आकर वे रूस चले गए। पिछले महीने उनके खाते में 2.3 लाख रुपये की सैलरी भी जमा हुई थी।
हेमिल की मौत की खबर 23 फरवरी को उनके परिवार को मिली। उनके पिता को एक फोन आया था जिसमें बेटे के मारे जाने की जानकारी दी गई थी। परिवार ने पहले तो इस खबर पर यकीन नहीं किया, लेकिन बाद में पुष्टि हो गई कि हेमिल रूस-यूक्रेन युद्ध में मारा गया है।
हेमिल के परिवार ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। वे चाहते हैं कि सरकार रूसी सरकार से संपर्क करे और हेमिल की मौत की पूरी जानकारी हासिल करे। पुलिस का कहना है कि हेमिल नॉर्मल वीजा पर रूस गया था। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि उसने वहां नौकरी कैसे शुरू कर दी।
यह घटना एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करती है, जिसमें भारतीयों को लाखों रुपये की सैलरी का झांसा देकर रूस भेजा जा रहा है। रूस पहुंचने के बाद, उन्हें वैगनर ग्रुप में शामिल कर युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।
22 फरवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 60 अन्य भारतीयों को भी इसी तरह से फंसाया गया है। उन्हें भी वैगनर आर्मी में शामिल कर युद्ध में भेजा गया है।