21 साल बाद धरती से टकराया सबसे मजबूत सौर तूफान, क्या होगा आपके मोबाइल और इंटरनेट पर असर?

पृथ्वी से 21 साल बाद सबसे मजबूत सौर तूफान टकराया है। इस तूफान को भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) का नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका असर नेविगेशन, संचार और रेडियो सिग्नलों पर पड़ सकता है। यह तूफान पूरे हफ्ते तक चल सकता है। 2003 के बाद यह सबसे खतरनाक सौर तूफान माना जा रहा है।

क्या है सौर तूफान?

सूर्य से निकलने वाले विशाल विस्फोटों को कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहते हैं। जब ये CME अंतरिक्ष में पहुंचते हैं, तो उनमें मौजूद ऊर्जावान कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं। इस टक्कर से चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा होती है, जिसे भू-चुंबकीय तूफान कहते हैं।

क्या होगा मोबाइल और इंटरनेट पर असर?

भू-चुंबकीय तूफान का असर मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर भी पड़ सकता है। तूफान की तीव्रता के आधार पर, सिग्नल कमजोर हो सकते हैं या पूरी तरह से गायब हो सकते हैं।

इन तूफानों का क्या असर हो सकता है:

  • संचार व्यवस्था में बाधा: मोबाइल फोन, रेडियो और टेलीविजन संचार प्रभावित हो सकते हैं।
  • जीपीएस व्यवस्था में बाधा: जीपीएस नेविगेशन सिस्टम खराब हो सकते हैं।
  • बिजली व्यवस्था में बाधा: बड़े पैमाने पर बिजली गुल हो सकती है।
  • उपग्रहों में खराबी: कृत्रिम उपग्रहों में खराबी आ सकती है।

क्या बचाव है?

भू-चुंबकीय तूफानों से बचाव के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:

  • संचार के लिए वैकल्पिक साधन रखें: मोबाइल फोन के अलावा, रेडियो और सैटेलाइट फोन जैसे वैकल्पिक संचार साधनों का उपयोग करें।
  • बिजली की आपूर्ति का बैकअप रखें: बिजली गुल होने की स्थिति में, इनवर्टर या जेनरेटर का उपयोग करें।
  • उपग्रहों पर निर्भर सेवाओं का कम उपयोग करें: तूफान के दौरान, जीपीएस नेविगेशन और उपग्रह इंटरनेट जैसी सेवाओं का कम उपयोग करें।