सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के निर्माण को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार मध्यस्थता करेगी। इस संबंध में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 28 दिसंबर को हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है। यह बैठक चंडीगढ़ में शाम चार बजे होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में अपने फैसले में कहा था कि हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी देने के लिए पंजाब को एसवाईएल नहर का निर्माण करना होगा। इस फैसले को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने 2007 में एक नोडल एजेंसी का गठन किया था, लेकिन पंजाब सरकार ने इस एजेंसी को सहयोग नहीं दिया।
पंजाब सरकार का कहना है कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। हालांकि, हरियाणा सरकार का कहना है कि एसवाईएल नहर का निर्माण पानी के बंटवारे से अलग मुद्दा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एसवाईएल नहर का निर्माण होना है तो होकर रहेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब बार-बार यह कहकर एसवाईएल नहर के निर्माण से भागता है कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए पानी नहीं है, लेकिन असली मुद्दा पानी के बंटवारे का नहीं, बल्कि एसवाईएल नहर के बनाने का है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी का बंटवारा 2025 में ट्रिब्यूनल की बैठक में होगा, जिसमें कई राज्य शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि हम किसी से पानी नहीं छीन सकते। पानी का बंटवारा राज्यों की जरूरत और पानी की उपलब्धता पर होता है। हरियाणा ने यह कभी नहीं कहा कि हमें पूर्व के बंटवारे के हिसाब से ही पानी चाहिए। पानी के बंटवारे में कम ज्यादा हो सकता है और यह बाद का विषय है, लेकिन पहला विषय एसवाईएल नहर के निर्माण का है।
हरियाणा सरकार की ओर से एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। सरकार ने नहर के लिए जमीन अधिग्रहण और निर्माण के लिए बजट भी आवंटित कर दिया है।