Stepwell of Haryana :  हरियाणा का इतिहास वैसे तो सालों पुराना है। लेकिन कई ऐसी रहस्यमयी जगहें आज भी मौजूद है, जहा जाने से पहले आपको एक बार इनके इतिहास के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। तो आइये आज हम आपको हरियाणा में स्थित चोरों की बावड़ी के बारे में बताएंगे।

बता दें कि इसका निर्माण मुगल काल में हुआ था। लेकिन ‘चोरों की बावड़ी’ यह सुनकर आपके मन में एक सवाल जरूर आया होगा कि आखिर इसको इस नाम से क्यों जाना जाता है। आइये आपको इसके इतिहास के बारे में बताते है।

Stepwell of Haryana

जानें क्यों है इसका नाम चोरों की बावड़ी

आपको बता दें कि इस बावड़ी से जुड़ी एक चोरों की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। माना जाता है कि एक चोर था, जो जब भी कोई सामान चुराता, तो वह इस बावड़ी में जाकर छिप जाता। जब भी गांव वाले इसका पीछा करते थे, तो वह भागते हुए इस बावड़ी में आकर छलांग लगाकर गायब हो जाता था।

कुए में थी 101 सीढ़ियां

बावड़ी में एक कुआं है जिसमें भीतर जाने के लिए 101 सीढ़ियां उतरनी पड़ती है। लोग उसे खोजते रहते, लेकिन किसी को वह नहीं मिलता। माना जाता है कि आज भी यहां खजाना छिपा हुआ है। इस बावड़ी के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह जितना बड़ा बाहर से है, उतना ही अंदर से भी है। हालांकि, इस बावड़ी को लेकर इतिहास में कोई जानकारी नहीं मिलती।

Stepwell of Haryana

कहां है स्थित

यह बावड़ी रोहतक के महम में है। महम रोहतक जिले में स्थित एक तहसील है। आप यहां राष्ट्रीय राजमार्ग 9 जो पहले NH-10 होता था, यहां स्थित है। दिल्ली और सिरसा के बीच एक स्टॉप पड़ता है। यहां आप पत्थरों पर ‘स्वर्ग का झरना’ लिखा हुआ देख सकते हैं।

जानें बावड़ी का इतिहास

इसका निर्माण 1658-59 ईसवी में सैद्यू कलाल ने करवाया था। इसे मुगल राजा शाहजहां के सूबेदार ने बनवाया था। इस बावड़ी में पहले कमरे बने हुए थे, लेकिन अब यह एक टूटी-फूटी बिल्डिंग के सामान हो गया था। यहां एक कुआं है, जिसका पानी गहरे काले रंग का है।

इसके अलावा इस जगह के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां जमीन के अंदर सुरंगों का जाल बना हुआ है, तो पाकिस्तान के लाहौर तक जाता है। 1995 में आई भीषण बाढ़ के बाद बावड़ी का काफी हिस्सा तहस-नहस हो गया था। सीढ़ियों पर दिन-रात चमगादड़ों का पहरा रहता है।