– हरियाणा के सबसे बड़े ओटीटी प्लेटफोर्म स्टेज के फाउंडर विनय सिंघल से जानें उनका संघर्ष

– 40 करोड़ सालाना टर्नओवर वाली कंपनी को रातों रात लगा झटका लेकिन हार नहीं मानी और हरियाणा के लोगों को दिया खुद का स्टेज

साल 2017-18 था हमारी विटीफीड नाम की एक कंपनी थी जिसका सालाना टर्नओवर तकरीबन 40 करोड़ से अधिक का था। अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर में भी ऑफिस था। कंपनी की वैल्यूएशन 200 करोड़ थी। सब कुछ अच्छे से चल रहा था। टीम में 125 से अधिक लोग काम कर रहे थे। हर महीने 3 करोड़ तो सिर्फ स्टाफ की तनख्वाह पर खर्च हो रहे थे। … अचानक से रातों रात सब बंद हो गया। कंपनी ही गायब हो गई। फेसबुक ने कुछ कानूनी पहलुओं को बताते हुए हमें अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया। कंपनी ही नहीं रही, तो हमारा क्या। लग रहा था कि हां, सब कुछ मैनेज कर लेंगे।लेकिन ऐसा नहीं हुआ और हमें लगा कि अब तो सारे रास्ते बंद हो गए हैं।

स्टेज एप हमारी दूसरी कमाई है। मैं और प्रवीन दोनों भाई हैं और हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले हैं। एक ऐसे गांव से निकलकर आया हुआ लड़का, जहां पढ़ने-लिखने का कोई माहौल न हो। 10वीं, 12वीं के बाद लोग आर्मी में भर्ती होने की तैयारी करने लगते हैं। स्टार्टअप नाम तो मैंने सुना भी नहीं था। सरकारी स्कूल से पढ़ाई हुई। बचपन से घर की स्थिति देख सोचता था कि आगे चल कर कुछ तो अच्छा करूं, कुछ तो बन जाऊं। 12वीं के बाद पहले तो डॉक्टर बनना चाह रहा था। इसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी। करीब दो साल ये चलता रहा, इसी बीच एक रोज पापा आए और उन्होंने कहा कि डॉक्टर नहीं बनना है। चलो घर चलो। उसके बाद मैंने सोचा कि पहले मैं सॉफ्टवेयर के बारे में पढ़ना चाह ही रहा था। इंजीनियरिंग कर लेता हूं। इसलिए चेन्नई की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी से दाखिला ले लिया। घरवाले भी चाहते थे कि इंजीनियरिंग करके किसी कंपनी में जॉब वगैरह करूं, ताकि घर के हालात थोड़ ठीक हो जाएं। कर्ज लेकर पापा ने इंजीनियरिंग करने के लिए भेजा था।’ फर्स्ट ईयर से ही मैंने वेब डेवलपिंग और वेबसाइट बनाना शुरू कर दिया था। शुरुआत में कुछ लोगों को तो ऐसे ही फ्री में बना देता था। जब ये बात मेरे कॉलेज के प्रोफेसर को पता चली, तो उन्होंने कहा कि क्यों न मैं अपना काम शुरू कर दूं।

2010 के आस पास की बात है। मैंने एक NGO शुरू किया था, जिसमें यूथ को कनेक्ट करता था, ताकि वो विदेश न जाकर देश के लिए काम करें। कुछ समय बाद ये बातें समझ में आ गई कि देशभक्ति भी पैसों से होती है, फ्री में कुछ नहीं होता। उस वक्त वेबसाइट, वेब डेवलपिंग का कंसेप्ट इंडिया में शुरू ही हुआ था। मैंने इस काम को करना शुरू कर दिया। घरवालों को जब ये बातें पता चली, तो बहुत कुछ सुनना पड़ा। उन्हें डर था कि कहीं ये बीच में ही इंजीनियरिंग छोड़ न दे या कंप्लीट न कर पाए। इंजीनियरिंग कंप्लीट करने के साथ ही मैंने अपनी वेब डेवलपिंग कंपनी बना ली। जब कॉलेज प्लेसमेंट में बैठा, तो महीने के 20-25 हजार रुपए ऑफर हुए। तब तक मैं 10 लोगों को इतने पैसे सिर्फ सैलरी के तौर पर दे रहा था।’ यही कंपनी आगे चलकर 2014 में WittyFeed के नाम बनी। जो बाद में अचानक खत्म हो गई थी। गिर के खड़ा हुआ हूं। जब कंपनी खत्म हो गई, तो कुछ महीने तो हमने सभी लोगों की सैलरी दी, लेकिन ऐसा कब तक चलता। कुछ काम ही नहीं बचा था।

एक दिन हमने मीटिंग बुलाई। अपनी टीम से कहा कि हमें कंपनी बंद करनी पड़ेगी, लेकिन मन में एक सवाल बार-बार उठ रहा था कि क्या यही हमारी कहानी का अंत था। मैं लगातार डिप्रेशन में जा रहा था। करीब 4 महीने तक ये सब चलता रहा। जब मैंने एक ऑप्शन अपनी टीम के सामने रखा कि यदि सभी लोग कंपनी के इन्वेस्टर बन जाएं, तो शायद हम कुछ कर सकते हैं। 50 से ज्यादा लोग राजी हो गए। ये ऐसे लोग थे, जिनकी मंथली सैलरी 30 हजार, 50 हजार थी। हमने दो साल बाद इन्हें दोगुना पैसा दिया। दो-तीन महीने के बाद ही हमें STAGE का आइडिया आया। देश में 22 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती है, लेकिन बोलियां अनगिनत हैं। कोई हरियाणवी बोल रहा है, तो कोई मारवाड़ी। 2019 की बात है। OTT का दौर शुरू हो चुका था। मैंने जब हरियाणवी में OTT प्लेटफॉर्म सर्च किया, तो मुझे नहीं मिला। यहीं से STAGE की शुरुआत हुई।

जब हम लोग अपनी टीम के साथ हरियाणा के कलाकारों से मिलने जाते थे, तो हर कोई यही कहता था- अभी पैसा है, नया-नया आइडिया है, कुछ महीने घूमेगा-फिरेगा, फिर वापस जहां से आया है, वहीं लौट जाएगा। ये शहरी लोग हैं, चले हैं हरियाणा का अपना नेटफ्लिक्स बनाने। बड़े एक्टर, एक्ट्रेस हमारे साथ काम करना नहीं चाह रहे थे। फिर मैंने वैसे कलाकारों से कॉन्टैक्ट करना शुरू किया, जिन्हें काम नहीं मिल रहा था। अब हर कोई मुंबई जाकर तो अपना करिअर नहीं बना सकता है न। हमने इनके साथ मिलकर फिल्म बनानी शुरू की। शुरुआत में करीब 4 करोड़ का इन्वेस्ट करना पड़ा। धीरे-धीरे जब लोग जुड़ने लगे, दर्शक हमारे शो को STAGE प्लेटफॉर्म के जरिए देखने लगे, तब बड़े एक्टर भी मेरे साथ काम करने लगे। अब हम पिछले दो साल से पेड मॉडल पर काम कर रहे हैं। आज STAGE के करीब 5 लाख पेड सब्सक्राइबर हैं। अब हमने राजस्थानी बोलियों में भी वेब सीरीज बनानी शुरू की है। अब हम मैथिली, भोजपुरी समेत अलग-अलग लोकल बोलियों में फिल्म बनाने पर काम कर रहे हैं।

– जैसा कि स्टेज एप के फाउंडर विनय सिंघल ने बताया।

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स्टेज एप के महत्वपूर्ण प्वाइंट्स :
कब शुरू हुई : 2019
लोकेशन :  नोएडा
किस बोली में : हरियाणवी और राजस्थानी
कुल फंडिंग : 70 करोड़
कुल सबस्क्राइबर : 10 लाख
सब्सक्रिप्शन फीस : 199 तीन महीना
ब्रांड एंबेसडर : नीरज चोपड़ा
लास्ट फंडिंग :  40 करोड़
कर्मचारी संख्या : 50
सीईओ : विनय सिंघल
वेल्युएशन : 300 करोड़
वार्षिक रेवेन्यू : 20 करोड़
फाउंडर : विनय सिंघल, प्रवीण सिंघल, शशांक वैष्णव, हर्ष मनी त्रिपाठी
एप क्या है : बोलियों का ओटीटी
इन्वेस्टर : ब्लूम इनवेस्टर
सोशल मीडिया :
फेसबुक : 5.1 M
एक्स : 6986
इंस्टाग्राम : 100 K
यूट्यूब : 139 K