Haryana History : ऐतिहासिक तौर पर हरियाणा का भारत की संस्कृति में अहम योगदान रहा है। लेकिन बहुत कम लोग ही इस राज्य से जुड़े इतिहास के बारे में जानते होंगे। दरअसल आपको बता दें कि हरियाणा देश का पहले अलग राज्य नहीं था। पहले यह पंजाब प्रांत का हिस्सा हुआ करता था। इसके बाद फिर साल 1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा देश के 17 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।

अलग राज्य बनते ही हरियाणा का पहला CM पंडित भगवत दयाल शर्मा को बनाया गया। लेकिन कुछ महीने में ही राज्य में सत्ता में फेरबदल हुआ और राव वीरेंद्र सिंह दूसरे मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 1968 में हरियाणा में जब पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो युवा विधायक चौधरी बंसीलाल प्रदेश के CM बने।

बता दें कि बंसीलाल लगातार 8 साल तक मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में प्रदेश में विकास के कई काम हुए। इसके बाद फिर साल 1975 में देश में आपातकाल लागू हुआ तो देश के साथ-साथ हरियाणा की राजनीति में भी उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस को छोड़कर जनता पार्टी में शामिल हुए चौधरी देवीलाल कांग्रेस की सत्ता को उखाड़ फेंकने की लगातार कोशिश करते रहे। उनको यह मौका मिला आपातकाल के बाद 1977 के हुए विधानसभा चुनाव में।

चौधरी देवी लाल के नेतृत्व में राज्य में पहली गैर कांग्रेसी सरकार आई। जनता पार्टी की सरकार के दौरान किसानों मजदूरों और कामकाजी वर्गों के हित में कई बड़े फैसले लिए गए। लेकिन 1979 में आते-आते सरकार पर देवीलाल की पकड़ कमजोर पड़ने लगी। भजनलाल ने विधायकों को अपने पाले में करके देवीलाल की सरकार का तख्तापलट कर दिया। और खुद मुख्यमंत्री बन गए।

फिर 1982 के चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए खूब जोड़-तोड़ की गई और हरियाणा की राजनीति में आया राम गया राम की कहावत बेहद मशहूर हो गई। 1987 का चुनाव आते-आते हरियाणा की राजनीति पूरी तरह बदल चुकी थी।

चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में लोक दल और बीजेपी गठबंधन ने चुनाव लड़ा। राज्य के इतिहास में पहली बार प्रचंड बहुमत मिला और गठबंधन ने 90 में से 85 सीटों पर जीत दर्ज की। देवीलाल एक बार फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 1989 के आम चुनाव में उन्होंने केंद्र का रुख किया राज्य की कमान उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला के हाथ में गई। हालांकि पूर्ण बहुमत की सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई।

1991 में विधानसभा चुनाव हुआ और राज्य की बागडोर एक बार फिर भजनलाल ने संभाली। और 1996 तक वे मुख्यमंत्री रहे। 1996 में हरियाणा की राजनीति में एक नई पार्टी का उदय हुआ। कांग्रेस से अलग होकर बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना की। उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को 33 सीटों पर जीत हासिल हुई और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई।

हालांकि यह सरकार 3 साल में ही गिर गई। हरियाणा की यह पहली ऐसी सरकार थी जो शराब बंदी के मुद्दे पर चुनाव जीती थी। और शराबबंदी ही इसके गिरने का भी कारण बनी। उसके बाद हरियाणा की कमान मिली ओम प्रकाश चौटाला को।

हरियाणा ने देवीलाल के बेटे चौटाला की सत्ता देखी। चौटाला वैसे तो 5 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। लेकिन कार्यकाल उन्होंने 1999 से 2004 की सरकार में ही पूरा किया। उस सरकार के कार्यकाल में हुए जेबीटी भर्ती के मामले में इंडियन नेशनल लोकदल के अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला को 10 साल की सजा हो गई।

इसके बाद साल 1999 के चुनावों में बीजेपी ने नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया और दोबारा से हरियाणा की सत्ता में वापस आ गई। इस बार भी मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला बने। यह पहला ऐसा कार्यकाल था जो ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में किसी सरकार ने पूरा किया। और यही वह कार्यकाल था जिसके तहत लिए गए कुछ फैसलों की वजह से ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे को जेल जाना पड़ा।

हरियाणा में उसके बाद 2004 से 2014 तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में दो बार कांग्रेस की सरकार बनी। 1977 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब किसी एक राजनीतिक दल की इतनी लंबी सरकार चली। लेकिन 2014 का चुनाव पहले के सभी चुनावों से अलग था। तब तक छोटी पार्टी समझी जाने वाली बीजेपी केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बना चुकी थी।

लोकसभा चुनाव में जीत के उत्साह से लवरेज बीजेपी ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा। और 2009 में सिर्फ 4 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 2014 में बहुमत की सरकार बनाई और प्रदेश के CM मनोहर लाल खट्टर बन गए। इसके बाद फिर 27 अक्टूबर 2019 में फिर बीजेपी जीती और मनोहर लाल खट्टर दोबारा प्रदेश के CM बने।