पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंचकूला के मनसा देवी कॉम्प्लेक्स में हो रहे विवाहों पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इन दुकानों में विवाह करवाते समय न तो जोड़े की उचित जानकारी ली जाती है और न ही क्षेत्राधिकार का ध्यान रखा जाता है। साथ ही, हर विवाह में एक ही वरमाला का इस्तेमाल किया जा रहा है और रस्मों और रीतियों का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है।

हाईकोर्ट यह आदेश फाजिल्का के एक प्रेमी जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जोड़े ने अपने अभिभावकों से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी। उन्होंने बताया था कि उन्होंने पंचकूला के मंदिर में विवाह किया था। हाईकोर्ट ने जब उनसे विवाह करवाने वाले पंडित की जानकारी मांगी तो वे कुछ बता नहीं सके।

इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि शादी केवल दो व्यक्तियों के बीच एक अनुबंध नहीं है, बल्कि एक पवित्र रिश्ता है और ऐसे में रीतियों व रिवाजों की अनदेखी नहीं की जा सकती। यह न केवल नैतिकता से संबंधित हैं, बल्कि इसका दुरुपयोग करके सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं को यह भी नहीं पता था कि विवाह संपन्न कराने के लिए अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा पांच और सात के प्रावधानों के अनुसार अधिकृत हैं या नहीं।

हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत संविधान के संरक्षक के रूप में न केवल याचिकाकर्ताओं बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के जीवन और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध है। अभिभावकों को भी गरिमा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है।

हरियाणा सरकार को मनसा देवी कॉम्प्लेक्स में हो रहे विवाहों की जानकारी देने के लिए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। फाजिल्का के एसपी को अगली तारीख तक याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए एक हेड कांस्टेबल की ड्यूटी लगाने का निर्देश दिया गया है। याचिकाकर्ताओं को पुलिस अधिकारी का खर्च (डीए और पूरे दिन का भोजन सहित) देना होगा।