हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में जाट वोट बैंक का निर्णायक भूमिका निभाने की संभावना है। यही वजह है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस इस वोट बैंक को साधने के लिए जुटे हुए हैं।

हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री विवाद और साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने के मुद्दे को दोनों दलों ने जाट समाज से जोड़ने की कोशिश की।

भाजपा ने मिमिक्री विवाद को भुनाया

उपराष्ट्रपति धनखड़ की मिमिक्री को जाट समाज का अपमान बताते हुए भाजपा ने इस विवाद को भुनाने की कोशिश की। पार्टी ने विपक्षी दलों पर जाट समाज का अपमान करने का आरोप लगाया और देशव्यापी प्रदर्शन का एलान किया।

भाजपा का मानना है कि इस विवाद से उसे जाट समाज का 15 से 20 फीसदी वोट मिल सकता है।

कांग्रेस ने पहलवानों के मुद्दे को उठाया

साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने के मुद्दे पर कांग्रेस ने पहलवानों के साथ खड़े होकर भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि इस मुद्दे से जाट समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

कांग्रेस का मानना है कि इस मुद्दे से उसे जाट समाज का वोट शेयर बढ़ाने में मदद मिलेगी।

हरियाणा की राजनीति में जाटों की भूमिका

हरियाणा की आबादी में जाटों की हिस्सेदारी 23-25 फीसदी है। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से कम से कम 40 सीटों पर जाटों का महत्वपूर्ण असर है।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जाटों का 25-30 फीसदी वोट मिला था। लेकिन 2019 के चुनाव में यह वोट शेयर घट गया। यही वजह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जाटों की नाराजगी का पार्टी को नुकसान भी झेलना पड़ा था।

2024 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को जाट वोट बैंक का समर्थन चाहिए। इसलिए दोनों ही दल इस वोट बैंक को साधने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।