Haryana News : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की नाक के तले प्रदेश में सैकड़ों करोड़ रुपये का सीसीटीवी खरीद घोटाला हुआ है।

हजारों करोड़ रुपये के कैमरों की खरीद अलग-अलग महकमों के मार्फत की गई। इस घोटाले को कमीशनखोरी के चक्कर में अंजाम दिया गया। यही वजह है कि प्रदेश के अधिकतर शहरों में सीसीटीवी कैमरे ठप पड़े हैं।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सुरक्षा के नाम पर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने सीसीटीवी कैमरे खरीदने और इन्हें लगाने की एवज में प्रदेश भर में हजारों करोड़ रुपये खर्च किए। एक ही कंपनी के कैमरे अलग-अलग शहरों में अलग-अलग दाम पर खरीदे जाने से साफ है कि बड़े खरीद घोटाले को अंजाम दिया गया।

टेंडर फाइनल करते समय नीचे से ऊपर तक खूब कमीशन बंटा। कैमरे, पोल और इंस्टालेशन के कार्य भी अलग-अलग फर्म से कराए गए। जिसने ज्यादा कमीशन दिया, उसे ज्यादा काम अलॉट कर दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कितनी हैरानी की बात है, इन्हें किसी एक एजेंसी के जरिए खरीदने की बजाए अलग-अलग महकमों के जरिए खरीदा गया।

कहीं पुलिस के खाते से पेमेंट कराई गई तो कहीं नगर निगम, नगर परिषद या नगर पालिका का खजाना लुटाया गया। भारी-भरकम खर्च के बाद अधिकतर शहरों में कैमरे ठप पड़े हैं, क्योंकि खरीदते समय क्वालिटी की बजाए कमीशनखोरी पर ही सारा ध्यान था। एक-आध शहर को छोड़ दें तो बाकी में 50 प्रतिशत से अधिक कैमरे खराब हो चुके हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों की खरीद की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए। निष्पक्ष जांच से ही पता चल पाएगा कि चंडीगढ़ में बैठे सत्ताधारियों के पास कितना कमीशन पहुंचा है। जांच न होने पर इनके हौंसले और अधिक बुलंद हो जाएंगे और सीसीटीवी खरीद का यह घोटाला आगे भी निरंतर चलता रहेगा।

किसी भी अपराध के बाद आरोपियों का कैमरों की नजर में न आना कमीशनखोरी का ही परिणाम है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के कृत्यों पर नजर दौड़ाएं तो यह कोई पहला घोटाला नहीं है। प्रदेश सरकार के कितने ही घोटाले सामने आ चुके हैं।

लेकिन, इनकी जांच को अंजाम तक पहुंचाने की बजाए इन पर पर्दा डालने का प्रयास किया जाता है। हर बार आरोपियों को सिर्फ इसलिए संरक्षण दिया जाता है, ताकि सरकार में बैठे कमीशनखोरों पर कोई आंच न आए।