हरियाणा सरकार के अनुसूचित जाति (SC) कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के फैसले पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अमन चौधरी की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि इस बीच कोई भी प्रमोशन नहीं किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने यह फैसला कमलजीत सिंह और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिकाकर्ताओं ने चार आधारों पर सरकार के निर्देशों को चुनौती दी थी, जिसमें यह दलील भी शामिल थी कि अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का आकलन करने की कवायद, आरक्षण प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा राय तैयार करने से पहले की जानी थी। यह प्रत्येक संवर्ग के लिए अलग-अलग किया जाना था न कि पदों के एक समूह के लिए।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि आरक्षण प्रदान करने की शक्ति राज्य सरकार के पास थी और इसे विभागीय पदोन्नति समिति को नहीं सौंपा जा सकता था। इसके अलावा, पदोन्नति पदों में आरक्षण प्रदान करने से पहले क्रीमी एससी लेयर को बाहर करना आवश्यक था और अनुच्छेद 335 के मापदंडों को पूरा करने के लिए यह अभ्यास आवश्यक था।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्टेट काउंसिल की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए सरकार को कोर्ट की सहायता करने का एक और अवसर भी दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को 7 फरवरी तक याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई सभी मुद्दों पर जवाब देना चाहिए।
हरियाणा सरकार ने 7 अक्टूबर, 2023 को एक निर्देश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि समूह ए और बी पदों के सभी संवर्गों में प्रमोशनल कोटा के स्वीकृत पदों के 20 प्रतिशत की सीमा तक अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को आरक्षण दिया जाना चाहिए।