हरियाणा सरकार ने प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सुपरवाइजर और महिला एवं बाल विकास अधिकारियों को स्मार्ट फोन देने की घोषणा की है। यह निर्णय डिजिटल इंडिया अभियान को आगे बढ़ाने और आंगनबाड़ी प्रणाली को पेपरलेस बनाने के उद्देश्य से किया गया है।
इस निर्णय से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कई लाभ होंगे। सबसे पहले, उन्हें अब विभिन्न योजनाओं और उनके लाभार्थियों की जानकारी को रखने के लिए अलग-अलग रजिस्टर रखने की आवश्यकता नहीं होगी। वे सभी जानकारी अपने स्मार्ट फोन में रख सकेंगे। इससे उन्हें समय और श्रम की बचत होगी।
दूसरा, स्मार्ट फोन के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लाभार्थियों की निगरानी करना आसान हो जाएगा। वे बच्चों की वृद्धि, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार, बच्चों का वजन और माप, आंगनबाड़ी केंद्र भवन की आधारभूत संरचना आदि की निगरानी कर सकेंगे।
तीसरा, स्मार्ट फोन के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारी लाभार्थियों तक पहुंचाने में आसानी होगी। वे घर-घर जाकर लाभार्थियों को वीडियो पात्रों के माध्यम से योजनाओं के बारे में बता सकेंगे।
हालांकि, इस निर्णय से कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन का उपयोग करना आना चाहिए। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
दूसरी चुनौती यह है कि स्मार्ट फोन की बैटरी की समस्या हो सकती है। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में चार्जिंग पॉइंट की व्यवस्था करने की आवश्यकता होगी।
तीसरी चुनौती यह है कि स्मार्ट फोन की सुरक्षा को लेकर चिंता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने फोन को सुरक्षित रखने के लिए सावधानी बरतनी होगी।
कुल मिलाकर, यह निर्णय आंगनबाड़ी प्रणाली को आधुनिक बनाने और लाभार्थियों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, इस निर्णय से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार को उचित व्यवस्था करने की आवश्यकता होगी।
लाभ
- समय और श्रम की बचत
- लाभार्थियों की बेहतर निगरानी
- योजनाओं से संबंधित जानकारी का आसान प्रसार
चुनौतियां
- स्मार्ट फोन का उपयोग करने की क्षमता
- बैटरी की समस्या
- सुरक्षा चिंता