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क्या सस्ता क्या महंगा? सीतारमण के बजट में कुछ भी सस्ता-महंगा नहीं, देखिए एक साल में चीजों के दाम कितने बढ़े-घटे

2023-24 के अंतरिम बजट में सरकार ने कोई भी टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं किया है। इसके अलावा, कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।

इनडायरेक्ट टैक्स के बढ़ने-घटने से सस्ते-महंगे होते प्रोडक्ट

बजट में प्रोडक्ट के सस्ते और महंगे होने को समझने के लिए सबसे पहले टैक्सेशन सिस्टम को समझना होगा। टैक्सेशन को मोटे तौर पर डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में बांटा गया है।

डायरेक्ट टैक्स:

इनडायरेक्ट टैक्स:

जैसे होलसेलर इसे रिटेलर्स को पास करता है, जो इसे ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, इसका असर अंत में ग्राहकों पर ही पड़ता है। इस टैक्स को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) गवर्न करती है।

GST के दायरे में 90% प्रोडक्ट

2017 के बाद लगभग 90% प्रोडक्ट्स की कीमत GST पर निर्भर करती है। GST से जुड़े सभी फैसले GST काउंसिल लेती है। इसलिए बजट में इन प्रोडक्ट्स की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होता है।

बचे हुए प्रोडक्ट का बजट में सस्ता या महंगा होना कस्टम और एक्साइज ड्यूटी जैसे इनडायरेक्ट टैक्स के बढ़ने और घटने पर निर्भर करता है।

एक साल में आम जरूरत की चीजों के दाम

बीते एक साल में आम जरूरत की चीजों के दाम में उतार-चढ़ाव रहा है। कुछ चीजों के दाम बढ़े हैं, तो कुछ चीजों के दाम घटे हैं।

दाम बढ़े:

दाम घटे:

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