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हरियाणा के निर्माण की आवाज संविधान सभा में बुलंद हुई

भारतीय संविधान के निर्माण के लिए कुल 11 अधिवेशन हुए थे। इनमें से सातवां अधिवेशन हरियाणा के लिए सबसे महत्वपूर्ण था। इस अधिवेशन में रोहतक के सांघी गांव के रणबीर सिंह हुड्डा ने हरियाणा राज्य निर्माण की मांग उठाई थी। वह हरियाणा क्षेत्र के आठ सदस्यों में सबसे कम उम्र के थे।

रणबीर सिंह हुड्डा का जन्म 15 जुलाई 1916 को हुआ था। वे एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि प्राप्त की।

हुड्डा राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल थे। वे 1946 में संविधान सभा के सदस्य चुने गए थे। संविधान सभा में उन्होंने हरियाणा राज्य निर्माण की मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि हरियाणा क्षेत्र का अपना अलग इतिहास और संस्कृति है। इसलिए इसे एक अलग राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।

हुड्डा की इस मांग का समर्थन अन्य सदस्यों ने भी किया। इसके बाद संविधान सभा ने हरियाणा राज्य निर्माण की सिफारिश की। 1 नवंबर 1966 को हरियाणा एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।

हरियाणा के निर्माण में रणबीर सिंह हुड्डा का महत्वपूर्ण योगदान था। उन्हें हरियाणा का “पिता” भी कहा जाता है।

चौधरी निहाल सिंह तक्षक ने भी किया योगदान

हरियाणा के निर्माण में चौधरी निहाल सिंह तक्षक का भी महत्वपूर्ण योगदान था। वे चरखी दादरी जिले के भागवी गांव के रहने वाले थे। वे सरदार पटेल के करीबी सहयोगी थे।

तक्षक ने हरियाणा क्षेत्र की रियासतों को भारत में मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने फरवरी 1948 में दादरी में जींद प्रजामंडल की बैठक की अध्यक्षता की थी। इस बैठक में फैसला लिया गया कि दादरी को जींद रियासत से अलग करके हिसार जिले में मिला दिया जाए।

तक्षक के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया, जिसमें 10,000 लोग शामिल हुए थे। जुलूस के दौरान तक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद राजा रणबीर सिंह को गृहमंत्री सरदार पटेल के समक्ष समर्पण करना पड़ा था।

तक्षक को 600 रियासतों को भारत में मिलाने के लिए “रियासतों का टूटे हुए दिलों का मरहम” कहा जाता है। उन्हें 2015 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

हरियाणा के निर्माण के लिए अन्य सदस्यों का भी योगदान

हरियाणा के निर्माण में अन्य सदस्यों का भी महत्वपूर्ण योगदान था। इनमें शामिल हैं:

इन सभी सदस्यों ने संविधान सभा में हरियाणा राज्य निर्माण के पक्ष में जोरदार दलील दी थी। उनके प्रयासों के कारण ही हरियाणा एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आ सका।

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