लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट हुए इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग की संभावित तस्वीर सामने आ गई है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस 320 से 330 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इनमें करीब 250 सीटें ऐसे राज्यों में हैं जहां कांग्रेस अकेले लड़ सकती है। जबकि करीब 75 सीटें उन 9 राज्यों में हैं, जहां कांग्रेस सहयोगियों के साथ गठबंधन में है।

राज्यों के आधार पर सीट शेयरिंग का संभावित फॉर्मूला इस प्रकार है:

  • आंध्र प्रदेश: कांग्रेस 25
  • अरुणाचल प्रदेश: कांग्रेस 2
  • असम: कांग्रेस 14
  • बिहार: कांग्रेस 4, लेफ्ट 2, आरजेडी 17, जेडीयू 17
  • छत्तीसगढ़: कांग्रेस 11
  • गोवा: कांग्रेस 2 (आप एक सीट मांग सकती है)
  • गुजरात: कांग्रेस 26 (आप पांच सीटें मांग सकती है)
  • हरियाणा: कांग्रेस 10 (आप दो-तीन सीटें मांग सकती हैं)
  • हिमाचल प्रदेश: कांग्रेस 4
  • झारखंड: कांग्रेस 7, जेएमएम 4, आरजेडी, जेडीयू, लेफ्ट 3
  • कर्नाटक: कांग्रेस 28
  • केरल: कांग्रेस 16, स्थानीय दल 4
  • मध्य प्रदेश: कांग्रेस 29
  • महाराष्ट्र: कांग्रेस 18, शिवसेना 15, एनसीपी 15
  • मणिपुर: कांग्रेस 2
  • मेघालय: कांग्रेस 2
  • मिजोरम: कांग्रेस 1
  • नागालैंड: कांग्रेस 1
  • ओडिशा: कांग्रेस 21
  • पंजाब: कांग्रेस 13, आप 13 (रणनीतिक तौर पर गठबंधन की संभावना कम है)
  • राजस्थान: कांग्रेस 25
  • सिक्किम: कांग्रेस 1
  • तमिलनाडु: कांग्रेस 9, डीएमके 24, लेफ्ट 4, स्थानीय दल 2
  • तेलंगाना: कांग्रेस 17
  • त्रिपुरा: कांग्रेस 2 (लेफ्ट के एक सीट मिल सकती है)
  • उत्तर प्रदेश: कांग्रेस 8-10, समाजवादी पार्टी 65, स्थानीय दल 5-7
  • उत्तराखंड: कांग्रेस 5
  • पश्चिम बंगाल: कांग्रेस 2-4, टीएमसी 38- 40
  • जम्मू कश्मीर: कांग्रेस 2, NC 2, PDP 1
  • लद्दाख: कांग्रेस 1
  • दिल्ली: कांग्रेस 3, आप 4
  • चंडीगढ़: कांग्रेस 1
  • अंडमान, दादरा नगर हवेली, दमन दीव, लक्षद्वीप, पुडुचेरी: कांग्रेस 4, एनसीपी 1

बताया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन की अब तक पटना, बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में चार बैठकें हो चुकी हैं। इस गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीटों का बंटवारा और चेहरा तय करना है। सूत्रों का कहना है कि जनवरी के आखिर तक सीट शेयरिंग पर अंतिम मुहर लग सकती है। क्षेत्रीय दल अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने अपनी तरफ से एक फॉर्मूला तैयार किया है। ये आने वाले दिनों में पता चलेगा कि इसपर आम सहमति बनती है या नहीं।