Nagpur Dog Bite: देशभर में आवारा कुत्तों की समस्या अब राष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने और व्यापक बहस के बावजूद कुत्तों के हमलों से होने वाली मौतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शहर कोई भी हो, इस समस्या से अछूता नहीं है।
नगर पालिका और नगर निगम टैक्स वसूलने में तो पीछे नहीं रहते, लेकिन आवारा कुत्तों से लोगों की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी है। नागपुर में हाल ही में घटी एक दर्दनाक घटना ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है, जहां आवारा कुत्तों ने एक मां की गोद उजाड़ दी।
खबर के मुताबिक, नागपुर में तीन साल के वंश शहाणे को आवारा कुत्तों के झुंड ने मार डाला। वंश अपने माता-पिता की एकलौती संतान था और उनकी जिंदगी में लंबे इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट और लाखों रुपये खर्च करने के बाद आया था।
मंगलवार को वंश अपने घर से खेलने के लिए बाहर निकला और मौदा के गणेश नगर इलाके में एक सुनसान जगह पर भटक गया, जहां कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। इस हमले में वंश की मौत हो गई।
वंश की मां ने बताया कि लंबे समय तक इनफर्टिलिटी का इलाज कराने के बाद वंश उनकी जिंदगी में आया था। उनके ट्रीटमेंट में 3 लाख रुपये का खर्च आया था और शादी के पांच साल बाद वंश का जन्म हुआ था। इस चमत्कारिक संतान के खोने के बाद परिवार में मातम छा गया है।
वंश के पिता अंकुश ने कहा, “कुत्तों ने पहले भी पुलिस क्वार्टर में एक पुलिसकर्मी की छह साल की बेटी का कान काट लिया था, लेकिन फिर भी इस खतरे को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया।”
घटना के बाद स्थानीय निवासियों ने बुधवार को पुलिस स्टेशन का घेराव किया और प्रशासन से आवारा कुत्तों को इलाके से बाहर निकालने के लिए तुरंत कदम उठाने की मांग की।
वंश के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। जब कुत्ते वंश को नोच रहे थे, तब एक राहगीर ने अपनी जान जोखिम में डालकर कुत्तों को पत्थरों से मारकर भगाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
पुलिस प्रशासन ने इस घटना पर चिंता जताई है और आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर खानापूर्ति कर दी है।
इस तरह की घटनाएं प्रशासन की जिम्मेदारी और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।