कूलर की घास बदलते समय रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगी AC जैसी ठंडी हवा
गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और लोग अपने घरों को ठंडा रखने के लिए AC और कूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं। उत्तर भारत में पड़ने वाली तेज गर्मी से बचाव के लिए AC या कूलर का इस्तेमाल ज़रूरी हो जाता है।
AC की तरह ही Cooler को भी साल में कम से कम एक बार मेंटेनेंस की ज़रूरत होती है। कूलर की ठंडक बरकरार रखने के लिए उसकी घास को समय-समय पर बदलना ज़रूरी होता है।
बाजार में दो तरह के कूलर मिलते हैं: इनडोर और आउटडोर।
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इनडोर कूलर: इनमें हनीकॉम्ब की जाली लगी होती है, जो आम तौर पर कागज की लुगदी और सिंथेटिक रसायनों से बनती है। इन जालियों को बार-बार बदलने की ज़रूरत नहीं होती, ये 2-3 साल तक आसानी से चल जाती हैं।
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आउटडोर कूलर: इनमें खस की घास का इस्तेमाल होता है, जिसे हर सीजन बदलना चाहिए ताकि आपको ठंडी हवा मिलती रहे। यह घास बाजार में 100 रुपये के आसपास आसानी से मिल जाती है।
घास बदलते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
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घास का आकार: घास का आकार ऐसा होना चाहिए कि वो पूरी बॉडी को कवर कर सके। अगर घास बॉडी को पूरा कवर नहीं करेगा, तो पानी का प्रवाह बाधित होगा, जिससे पूरी घास नहीं भीगेगी और ठंडी हवा नहीं मिलेगी।
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घास का फैलाव: यह सुनिश्चित करें कि घास पूरे बॉडी में समान रूप से फैली हो। अगर कहीं घास ज़्यादा और कहीं कम हो, तो वो भी ठीक से नहीं भींगती।
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हवा का प्रवाह: घास लगाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि उससे हवा आसानी से आर-पार हो सके। ज़्यादा मोटी घास हवा के प्रवाह को रोक देगी और कूलर ठंडक नहीं दे पाएगा।
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पानी का प्रवाह: कूलर में लगे पंप से आने वाले पानी का प्रवाह भी चेक करें। ताकि घास पर हर जगह से सही मात्रा में पानी गिर सके। इससे घास खराब नहीं होगी और आपको ठंडी हवा मिलती रहेगी।