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Farmers Protest: हरियाणा सरकार ने शुभकरण की मौत की न्‍यायिक जांच के लिए SC का खटखटाया दरवाजा, अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई

Farmers Protest

Farmers Protest: किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी शुभ करण सिंह की मौत की जांच के लिए हरियाणा सरकार ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि HC ने उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उसकी मौत की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी।

बता दें कि हरियाणा पंजाब बॉर्डर पर 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के बीच झड़प के बाद शुभकरण सिंह मारा गया था।

हरियाणा सरकार ने मुख्य रूप से दिया तर्क 

सात मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के अनुसार, हरियाणा सरकार ने मुख्य रूप से तर्क दिया है कि जब राज्य पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच करने के लिए तैयार है, तो जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य ने पहले ही मामला दर्ज कर लिया है और पंजाब पुलिस से घटना से संबंधित रिकॉर्ड मांगा है।

अगले सप्‍ताह हो सकती है सुनवाई

इस मामले में हरियाणा की तरफ से गलती नहीं है और इसीलिए हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इस अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है। हाई कोर्ट पीठ ने आदेश दिया था कि तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर करेंगे। उनके साथ हरियाणा के एडीजीपी अमिताभ सिंह ढिल्लों व पंजाब के एडीजीपी प्रमोद बन को कमेटी का हिस्सा बनाया है।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने किसान शुभकरण की मौत के बाद एफआईआर दर्ज करने में देरी पर हरियाणा व पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि दोनों राज्य जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने का प्रयास कर रहे हैं। राज्यों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा था कि मौत जाहिर तौर पर अत्यधिक पुलिस बल का मामला है।

हरियाणा सरकार से HC ने पूछे थे सवाल

इस दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि किसानों पर गोलियां क्यों दागी गई। हरियाणा सरकार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की हिंसक कार्रवाई में 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और कई बार चेतावनी के बाद पहले लाठीचार्ज, फिर आंसू गैस, फिर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया लेकिन जब बात नहीं बनी तो रबर की गोलियां चलाई गई।

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