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बच्चों के लिए खतरनाक है प्रदूषण, बढ़ता है इन बीमारियों का खतरा, क्या आप जानते हैं कैसे करें बचाव?

बच्चों पर प्रदूषण का असर

Prevent Kids From Air Pollution : प्रदूषण बढ़ने का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है। वायु प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों, दिमाग और दिल पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए ये सावधानियां बरतें।

बच्चों पर प्रदूषण का असर : बदलता मौसम, पराली जलाने की घटनाएं और दिवाली का त्योहार दिल्ली एनसीआर में बसने वाले लोगों के लिए समस्याओं का कारण बन जाता है। हर साल अक्टूबर-नवंबर महीनों में, वायु प्रदूषण और जहरीली हवा की वजह से लोगों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हवा में मौजूद धूल, कालिख, और धुआं जैसे हानिकारक कण शरीर में समस्याएँ पैदा करते हैं, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों को इससे प्राप्त होने वाली परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वायु प्रदूषण विशेष रूप से बच्चों के प्रतिरोधक प्रणाली को प्रभावित कर रहा है, और उनमें निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। व्यक्तिगत रूप में वायु प्रदूषण में दीर्घकालिक प्रदूषण के साथ रहने वाले लोगों के हृदय और फेफड़ों पर भी इसका प्रभाव होता है।

वायु प्रदूषण से बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाली बीमारियों के संकेत

फुहार की बीमारियाँ – PM2.5, PM10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के विकृत वायु मामूली विद्यमान होने से बच्चों के लिए सांस संबंधित रोगों के खतरे में वृद्धि दरबदर हो रही है। यह अशिथिलता बच्चों में अस्थमा के प्राधिकृत संकेतों की तेजी से बढ़ती हुई सख्त दिख रही है। इसके अलावा, सांस संबंधित बीमारियों में ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के कार्यक्षेत्र में भी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।

संक्रमण का खतरा – बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के कारण बच्चों की प्रतिरोधकता कमजोर हो रही है, जिससे उन्हें संक्रमण के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। इस परिस्थिति में, बच्चों को निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस जैसे सांस संबंधित संक्रमणों के लिए ज्यादा खतरा होता है, और ऐसे बच्चों में संक्रमण के खतरे की दर बढ़ जाती है।

विकास में देरी – ऐसे बच्चे जो गर्भावस्था के समय प्रदूषण युक्त वातावरण में रहते हैं और जन्म के प्रारंभिक दिनों में प्रदूषण से संपर्क में आते हैं, उनके विकास में देरी हो सकती है। इस प्रकार के बच्चों के मानसिक विकास पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है, और ऐसे बच्चों में समझ और व्यवहार से जुड़ी समस्याएँ होने का खतरा बढ़ सकता है।

फेफड़ों का सही विकास न होना – जो बच्चे प्रदूषण युक्त वातावरण में रहते हैं, उनके फेफड़ों का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता है। प्रदूषक फेफड़ों को कमजोर बना देते हैं, जिससे बच्चों के फेफड़ों को ज्यादा नुकसान हो सकता है।

प्रदूषण से बचाव कैसे करें (How To Protect Children From Pollution):

  1. प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचाव के लिए बच्चों को रोज रात को भाप देने की सिफारिश करें।
  2. उनकी डाइट में विटामिन सी और जिंक से भरपूर आहार शामिल करें, जिससे उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो।
  3. बच्चों को लंग्स की स्वास्थ्य और बेहतर सांस के लिए नियमित रूप से योग कराएं, जिससे उनके स्वास्थ्य को फायदा हो।
  4. घर के अंदर कम से कम धूम्रपान करने वाले चीजों का उपयोग करें, और सिगरेट या तंबाकू का सेवन से बचें।
  5. यातायात करते समय भीड़भाड़ वाली स्थलों से बचें, और कोशिश करें कि प्रदूषण कम वाली जगहों पर जाएं।
  6. हरियाली और खुले वातावरण को बढ़ाने वाली बाहरी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करें, जहां प्रदूषण कम हो।
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