Site icon Yuva Haryana News

राजस्थान चुनाव को लेकर दिग्विजय का बड़ा बयान, क्या बोले जजपा के युवराज, पढ़े पूरा इंटरव्यू

बिग इंटरव्यू : दिग्विजय चौटाला

जेजेपी के युवराज दिग्विजय चौटाला अक्सर अलग-अलग कारणों से चर्चा में रहते हैं। कभी वे विरोधियों को सख्त जवाब देते हुए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की ढाल बने दिखते हैं तो कभी छात्र राजनीति के जरिये अपनी सरकार से ही टकराते नज़र आते हैं। हाल ही में पंजाब विश्वविद्यालय के चुनाव में इनसो ने सचिव पद पर बड़ी जीत दर्ज़ की तो वहां पर भी दिग्विजय की नेतृत्व कुशलता दिखी। युवा हरियाणा ने दिग्विजय चौटाला से पार्टी में उनकी भूमिका और भविष्य की रणनीति पर विशेष बातचीत की।

 

1. सबसे पहले आपको पीयू चुनाव में लगातार दूसरी बार सचिव पद जीतने की बधाई। छात्र राजनीति पर आपका इतना ध्यान क्यों है ? आजकल की हाइटेक राजनीति में छात्र इतना असर डाल पाते हैं क्या जितना पहले होता था ?

जवाब – छात्र तो समाज और राजनीति को हमेशा नई दिशा देते हैं और अगर आप कह रहे हैं कि राजनीति हाइटेक हो रही है तो छात्र तो सबसे ज्यादा हाइटेक हैं। हां, राजनीति में छात्रों का दखल कम हो रहा है, ये बात आपको इसलिए जरूर लग सकती है क्योंकि कई बड़े दलों की छात्र इकाईयां पिछले एक दशक में अपनी चमक खो रही हैं। अब देश के स्तर पर तो कोई एक बड़ा छात्र संगठन बचा ही नहीं है, अलग-अलग राज्यों में दर्जनों स्थानीय संगठन बड़ी पार्टियों को हरा रहे हैं। लेकिन इनसो के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं है। इनसो उत्तर भारत का सबसे तेजी से बढ़ता, निरंतर सक्रिय रहने वाला और ऐसा संगठन है जो खुद भी मजबूत हो रहा है और अपनी पार्टी जेजेपी के लिए भी नए-नए मैदान तैयार कर रहा है।

 

2. नया मैदान तो आप राजस्थान में भी ढूंढ रहे हैं, क्या स्थिति है वहां ? ऐसे अचानक क्या हासिल होगा जेजेपी को राजस्थान में ?

जवाब – राजस्थान हमारे लिए नया मैदान नहीं है, बल्कि हमारे लिए तो राजस्थान ऐसा राज्य है जिसने चौधरी देवीलाल को प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचाया हालांकि उन्होंने अपनी जगह वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर त्याग की मिसाल कायम की। और इसी राजस्थान ने डॉ अजय सिंह चौटाला को जो वे राजनीति शुरू कर रहे थे, तब दो बार विधानसभा में भेजा। हमारी पार्टी से कई-कई विधायक यहां से बनते रहे। बीच में थोड़ा गैप आ गया लेकिन अब राजस्थान के राजनीतिक हालात फिर से एक ऐसा नेतृत्व चाह रहे हैं जो उनसे सीधा जुड़ा रहे और जिसकी पहुंच दिल्ली की सरकार तक हो। हमें बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है और निश्चित तौर पर इस दिसंबर में जेजेपी की चाबी से राजस्थान विधानसभा का ताला खुलेगा।

 

3. आपने खुद के लिए क्या रोडमैप रखा है ? आप पार्टी के प्रधान महासचिव हैं, संगठन की मजबूती या कोई चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधि वाली राजनीति शुरू करना, 2024 में प्राथमिकता क्या रहेगी आपकी ?

जवाब – साल 2024 के चुनाव में अभी समय है और इस सवाल का उत्तर भी भविष्य के गर्भ में छिपा है। लेकिन, मेरी और मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं की यही प्राथमिकता रहती है कि कैसे संगठन की मजबूती हो, जनता की सेवा के लिए क्या कदम उठाएं जाएं और जनहित में जो-जो वादे हमने जनता से किए है, उन्हें कैसे पूरा किया जाए। मुझे संगठन में काम करना पसंद है। जहां तक बात चुनाव लड़ने की है, संगठन ने मुझे पहले भी दो दफा बेहद चुनौतीपूर्ण सीट की जिम्मेदारी दी है, आगे भी पार्टी का जो आदेश होगा उसे पूरा करने का काम करूँगा।

4. आप सारा दारोमदार पार्टी नेतृत्व के फैसले पर डाल रहे हैं लेकिन भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट को लेकर तो अजय सिंह चौटाला आपका नाम ही आगे रख चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष कह रहे हैं तो इसे तो पक्का ही माना जाए।

जवाब – मैं तो यही कहूंगा कि पार्टी नेतृत्व जो फैसला ले, वो हमें मंजूर। जहां बात भिवानी-महेंद्रगढ़ कसभा सीट की है तो यह जेजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय सिंह चौटाला जी की कर्मभूमि है। क्षेत्र के मतदाताओं के बीच जब हम जाते है तो वे अजय चौटाला जी के लोकसभा कार्यकाल को याद करते हैं और चाहते हैं कि वे फिर से इस क्षेत्र को नेतृत्व दें। आम लोगों की जुबान पर अजय चौटाला जी के 1999 से 2004 के लोकसभा कार्यकाल में हुए कार्यो का बार-बार जिक्र आता है। लोकतंत्र में आम लोगों की भावना सर्वोपरि होती है।

5. अब थोड़ी बात राष्ट्रीय परिपेक्ष की करते हैं, INDIA बनाम NDA की लड़ाई को कैसे देखते हैं?

जवाब – एक बात तो तय है कि देश फिर से गठबंधन की राजनीति की ओर बढ़ रहा है और क्षेत्रीय दलों की अहमियत बढ़ने जा रही है। बाकि INDIA गठबंधन में अभी बहुत मसले हैं, मुझे लगता है चुनाव आते आते यह पूरी तरह बिखर जाएगा।

6. अंतिम सवाल, जेजेपी के गठन को 5 साल पूरे होने जा रहे हैं, इस सफर को कैसे देखते हैं व भविष्य को लेकर क्या योजनाएँ हैं?

जवाब – 5 साल का सफर बेहद चुनौतीपूर्ण और रोमांच भरा रहा। पार्टी गठन के साल भर के अंदर 3 चुनाव लड़ने पड़े, लेकिन खुशी है कि जनता का आशीर्वाद मिला और सरकार में आकर लोगों के लिए काम करने का अवसर मिला। हम खुश हैं लेकिन संतुष्ट नहीं। संतुष्ट जब होंगे जब दुष्यंत चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे और चौधरी देवीलाल का दौर वापिस आएगा, अब इसी के लिए काम करना है।

दिग्विजय सिंह चौटाला प्रोफ़ाइल और राजनीतिक कैरियर

Exit mobile version