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देसी बात विद यशपाल शर्मा, यशपाल शर्मा इंटरव्यू

सिनेमा के धूम के मचाने के बाद अब ओटीटी से ‘घर-घर लखमी’

लंबे समय बाद हरियाणा को नेशनल फिल्म अवॉर्ड दिलाने वाले दादा लखमी को पर्दे पर उतारने वाले बॉलीवुड कलाकार यशपाल शर्मा से विशेष बातचीत

सवाल : लंबे समय बाद नेशनल अवार्ड मिलना हरियाणवी इंडस्ट्री के लिए कितनी बड़ी कामयाबी है।

जवाब : हरियाणवी इंडस्ट्री के लिए यह बड़ी कामयाबी है। इससे भी बड़ी बात यह थी कि अवॉर्ड देते समय राष्ट्रपति के भाषण में केवल दो लोकल बोलियों का नाम आया। जिसमें एक हरियाणवी थी। राष्ट्रपति ने कहा कि हरियाणवी बोली की फिल्म को नेशनल अवार्ड मिल रहा है, यह बताता है कि हमारा सिनेमा जिंदा है और हमारी इंडस्ट्री कैसे तेजी से आगे बढ़ रही है।

सवाल : हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री में काफी बदलाव आया है, इसे आप कैसे देखते हैं।

जवाब : बड़ा रिवेल्युशन आ रहा है। यह बदलाव का वक्त है। रोज नया और अलग तरीके का कंटेंट आ रहा है। एक स्टेज एप है जो काफी अच्छा कंटेंट लेकर आ रहे हैं। उनकी काफी हरियाणवी वेब सीरीज, फिल्में और अन्य कंटेंट बहुत अच्छे हैं। इसलिए मैं उनको काफी सपोर्ट भी करता हूं। यहां के कंटेंट पर अभी स्टारों का प्रभाव नहीं है। इसलिए काफी देसीपन रहता है। नए-नए युवाओं को यहीं पर काम मिल रहा है और मुंबई नहीं भागना पड़ रहा। एक नई इंडस्ट्री और नए तरीके का कारोबार प्रदेश में खड़ा हो रहा है। अभी पिछले दिनों हरियाणा फिल्म आई थी, काफी अच्छी थी। हाल ही में गुलजार छानिवाला की डीजे वाले बाबू रिलीज हुई है, जो साउथ की फिल्मों जैसा फिल दे रही है। इसलिए अब हरियाणा में हर तरीके का कंटेंट बन रहा है।

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सवाल : हरियाणवी इंडस्ट्री की ग्रोथ कैसे हो सकती है।

जवाब : सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री रेवेन्यू प्राप्त करने लगी है। अभी तक केवल खर्चे ही ज्यादा थे। जब रेवेन्यु आने लगे तो नए-नए लोग इससे जुड़ेंगे और बड़ा बदलाव आएगा। पहले इसे गंभीरता से नहीं लेते थे लेकिन अब इसे गंभीरता से लेने लगे हैं। कोई भी इंडस्ट्री तभी ग्रो करती है जब रिटर्न आए और वह अब आने लगा है।

सवाल : सूर्य कवि पंडित लख्मी चंद पर रिसर्च में कितना समय लगा।

यशपाल शर्मा : ये कि मैगी तो है नहीं जो 2 मिनट में बन जाए। कोई भी अच्छी चीज बनाने में समय तो लगता ही है। रिसर्च में शुरू के दो से ढाई साल लग गए। इसके बाद शूटिंग के साथ भी रिसर्च का काम हो रहा था। पंडित लखमी चंद के पर्सनल लाइफ पर रिसर्च करना आसान नहीं था, इसके लिए काफी ग्राउंड वर्क करना पड़ा। वैसे भी मेरा मानना है कि अगर आपको खरांटे वाली अच्छी नींद आ रही है तो मतलब कुछ गड़बड़ है। अभी दूसरे पार्ट पर काम हो रहा है उसकी शूटिंग अगले साल से होगी।

सवाल : इस फिल्म की तैयारी का बाकी काम के दौरान कोई असर हुआ क्या।

जवाब : जब बाहर बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग करता था तो काफी साथी कलाकार मेरे से बोर हो जाते थे। कहते थे कि हर समय लख्मी की रागनी गाता रहता है। हर समय हरियाणवी के डायलॉग बोलता रहता है। लेकिन मजा काफी आया इसमें काम करके। बाद में जब नेशनल अवार्ड फिल्म को मिला तो काफी चैन मिला कि हरियाणा की फिल्म को अवार्ड मिला है। इससे सबसे बड़ा बदलाव मैच्योरिटी के रूप में आया। अब मैं काफी मैच्योर हो गया हूं। लखमी चंद ने निजी जीवन और सामाजिक जीवन के बारे में काफी रिसर्च के साथ रागनी गाई थी, ऐसे में उनके जीवन से काफी सीखने को मिला।

सवाल : लखमी चंद पर ही विषय क्यों चुना।

जवाब : मैंने 2016 में पगड़ी फिल्म देखी तो मैं उसे देखकर काफी हैरान हुआ। इसके बाद मैंने मुंबई में रहते हुए नाना पाटेकर की सम्राट फिल्म देखी और उसके देखकर लगा कि हरियाणा में भी कुछ ऐसा ही काम किया जाए। तब तक मैंने लखमी चंद के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सुना था, केवल मन में यह था कि एक सांगी की कहानी बनाते हैं। राजू मान अच्छा लिखते हैं और मुंबई में हमारी मुलाकात हुई। इनको अपने सब्जेक्ट के बारे में बताया तो इन्होंनें कहा कि लखमी चंद से बेहतर कोई सांगी नहीं हुए। इन्होंनें दो सीन बताए। जिसमें पहला मेरा मरने वाला सीन और एक अन्य सीन बताया। मैंने वहीं फाइनल कर ली और केवल 100 रुपए देकर इनको फिल्म लिखने के लिए फाइनल कर दिया। उस दिन के बाद हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सवाल : इंडस्ट्री में नए चेहरों को मौका कैसे मिले।

जवाब : इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे। जैसे कि लखमी चंद के हमें तीन किरदार दिखाने थे। जिनमें बड़ा मैं था, एक बच्चा और एक युवा अवस्था के लिए चाहिए था और तीनों में मेल होना जरूरी था। मेरे को अपने हिसाब से दोनों को कास्ट करना था। हमने 9 लखमी फाइनल किए हुए थे। एक दिन अचानक फोन आया हितेश का और बोला कि अभी दिल्ली पहुंचा हूं और ऑडिशन देना है। मैंने कहा कि ऑडिशन तो खत्म हो गए लेकिन वो बोला कि केवल एक मौका दे दीजिए फिर भले ही मना कर देना। मैंने उसे एक ऑडियो गाना भेजा और कहा कि इस पर डांस करना है और एक डायलॉग बोलना है। कुछ समय में ही वो आया और उसने डायलॉग बोला और डांस दिखाया। हमने तुरंत कहा कि मिल गया हमारा लखमी चंद। ऐसे कास्टिंग हुई। जबकि प्रोड्यूसर ने भी बोला कि मेरा बेटा है और मुंबई से आया है उससे करवा लेते हैं लेकिन मैंने साफ मना कर दिया। मैंने कहा कि मुंबई में पैदा हुआ है और उसमें देसीपन नहीं है। रोहतक का बेटा लिया जो गरीब घर से है। आज वह स्टार बन गया और कई जगह अवार्ड भी मिल गए हैं। ऐसे ही नए चेहरों को मौका मिलेगा।

सवाल : इस फिल्म से आप समाज को क्या संदेश दे रहे हैं।

जवाब : चलो उसे देश में जहां संगीत हो, ना हो द्वेष कलेस, भाईचारा हो। हम बताना चाहते हैं कि सभी लड़ाई झगड़े छोड़ कर ऐसे समाज को बनाओ जिसमें सभी एक दूसरे का आदर करें और प्यार से रहें। वैसे भी ऐसे समाज का निर्माण संगीत ही कर सकता है। संगीत ही एक माध्यम है जो सभी को एक समान तरीके से आपस मिला देता है। यही हमारा संदेश भी है कि संगीत के माध्यम से भाईचारा और सुकून स्थापित हो।

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