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दिल्ली मेट्रो: टोकन से लेकर डिजिटल टिकटिंग तक का सफर

राजधानी दिल्ली में मेट्रो का सफर पिछले 21 सालों में काफी बदल गया है। 2002 में जब मेट्रो की शुरुआत हुई थी, तब यात्रियों को टोकन लेकर यात्रा करनी पड़ती थी। लेकिन आज मेट्रो में डिजिटल टिकटिंग विकल्पों का बोलबाला है। इस दौरान मेट्रो ने टोकन से लेकर डिजिटल टिकटिंग तक का लंबा सफर तय किया है।

दिल्ली मेट्रो ने 2002 में नीले और लाल रंग के दो प्रकार के टोकन पेश किए थे। नीले रंग का टोकन एकल यात्रा के लिए और लाल रंग का टोकन वापसी यात्रा के लिए था। ये टोकन जापान से खरीदे गए थे और यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय थे। कुछ यात्रियों ने तो इन्हें अपने घरों में और पूजा घरों में भी रखना शुरू कर दिया था।

लेकिन टोकन के उत्पादन और आयात में भारी खर्च होने के कारण डीएमआरसी को भारी राजस्व हानि का सामना करना पड़ा था। इसके बाद डीएमआरसी ने स्थानीय रूप से टोकन बनाने शुरू किए, जिससे उनकी कीमत कम हो गई। 2004 में लाल रंग के वापसी यात्रा टोकन को बंद कर दिया गया था।

आज दिल्ली मेट्रो में यात्री मेट्रो कार्ड, QR कोड, और मोबाइल ऐप के जरिए टिकट खरीद सकते हैं। इन डिजिटल टिकटिंग विकल्पों के आने से यात्रियों को टोकन लेने के लिए लाइन में लगने की समस्या से निजात मिल गई है।

दिल्ली मेट्रो के इस बदलाव से यात्रियों की सुविधा में काफी सुधार हुआ है। डिजिटल टिकटिंग विकल्पों से यात्रा करना अधिक सुविधाजनक और समय बचाने वाला हो गया है।

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