Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि 09 अप्रैल से शुरू और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। बता दें कि चैत्र नवरात्रि के दौरान नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का विशेष विधि-विधान है। जिसके तहत कन्या पूजन में 10 साल से अधिक कन्याओं को नहीं बुलाना चाहिए। वहीं कन्या को भोजन कराने से पहले उनके पैर धोएं और इसके बाद साफ और शुद्ध स्थान पर बैठाएं।

विधि-विधान के अनुसार कन्या के पूजन से पहले माता रानी को भोग जरूर लगाएं और आखिर में कन्याओं को दक्षिणा भी दें। अब ऐसे में नवरात्रि में ही क्यों कन्या पूजन का विधान है। इसका महत्व क्या है। इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।

नवरात्रि में क्यों किया जाता हैं कन्या पूजन?

आपको बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इंद्र देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर कन्या पूजन किया था। दरअसल, माता रानी को इंद्रदेव प्रसन्न करना चाहते थे। अपनी इच्छा को लेकर इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्हें माता रानी को प्रसन्न करने का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि मां आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए आपको कन्या पूजन करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए।

ब्रह्मा जी की सलाह के बाद इंद्रदेव ने माता की विधिवत पूजा-अर्चना की और उसके बाद कुंवारी कन्याओं का पूजन किया। उन्हें भोजन भी कराया। इंद्रदेव के सेवा भाव को देखकर मां आदिशक्ति प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि तभी से कन्या पूजन की परंपरा शुरू हुई।

क्या है महत्व ?

नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पूजन में 9 कन्याओं को ही बुलाने की परंपरा है। जिन्हें मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही बटुक नाथ भी कन्याओं के साथ होना चाहिए। जिन्हें भैरव का स्वरूप माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त माता की विधिवत पूजा करते हैं और कन्या पूजन करते हैं। उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साधक के ऊपर माता रानी की कृपा बनी रहती है। साथ ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।