सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में 2016 में हुई शिक्षक भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच कर रहे सीबीआई को रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या 25,753 नियुक्तियों में से उन शिक्षकों की पहचान की जा सकती है जिनकी नियुक्ति सही तरीके से हुई थी।

  • सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को इस मामले पर सुनवाई करने का फैसला लिया है।
  • याचिका में हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिसमें सभी 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था।
  • चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि “यह देखना होगा कि यह कैसे किया गया। ओएमआर शीट को नष्ट कर दिया गया और जिन लोगों का पैनल में शामिल होना ही नहीं था उन्हें भर्ती कर लिया गया। यह धोखाधड़ी है।”
  • वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि “सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया है, जबकि सीबीआई ने अब तक केवल 8,000 नियुक्तियों में ही गड़बड़ी पाई है।”
  • स्कूल सेवा आयोग ने भी तर्क दिया कि “जो नियुक्तियां सही तरीके से हुई थीं, उन्हें अलग किया जा सकता था।”
  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को 2016 में हुई इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों को 7-8 सालों में प्राप्त वेतन 12% ब्याज के साथ लौटाने का भी निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट 6 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगा। यह फैसला 25,753 शिक्षकों के भविष्य को प्रभावित करेगा।