पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में ग्रुप डी के 13,536 पदों पर की जा रही भर्ती में सामाजिक व आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले 5 अंकों के लाभ पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही याचिका पर हरियाणा सरकार व अन्य प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता वरुण भारद्वाज ने एडवोकेट सार्थक गुप्ता के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा में ग्रुप डी के 13,536 पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने विज्ञापन निकाला था। इस विज्ञापन के अनुसार, कुल 100 अंकों में से 95 अंक परीक्षा के जोड़े जाएंगे और 5 अंकों का लाभ सामाजिक व आर्थिक आधार पर दिया जाएगा।
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह एक तरह से आरक्षण देने जैसा है और विभिन्न जातियों व वर्गों को पहले ही आरक्षण का लाभ दिया जा चुका है। इस प्रकार इन अंकों का लाभ देकर एक नया वर्ग तैयार करना संविधान के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सामाजिक व आर्थिक आधार पर अंकों का लाभ देते हुए यह शर्त रखी गई है कि परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं होनी चाहिए। याचिकाकर्ता का कहना है कि व्यक्ति को खुद एक यूनिट समझकर किसी भी लाभ के लिए पात्र माना जाना चाहिए न की पूरे परिवार को।
याचिकाकर्ता ने अर्पित गहलावत मामले का भी हवाला दिया। इस मामले में हाईकोर्ट ने सामाजिक व आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले 5 अंकों के लाभ पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अब ग्रुप डी की भर्ती में इन अंकों का लाभ देने पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट के फैसले का क्या है मतलब?
हाईकोर्ट के इस फैसले का मतलब है कि हरियाणा में ग्रुप डी के 13,536 पदों पर की जा रही भर्ती में सामाजिक व आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले 5 अंकों का लाभ नहीं दिया जाएगा। इससे उन उम्मीदवारों को फायदा होगा जो इन अंकों के बिना भी योग्यता के आधार पर इन पदों के लिए आवेदन करने के योग्य हैं।
हालांकि, हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यह रोक केवल इस भर्ती प्रक्रिया पर लागू होगी। भविष्य में होने वाली ग्रुप डी भर्ती प्रक्रियाओं में सामाजिक व आर्थिक आधार पर अंकों का लाभ दिया जा सकता है या नहीं, यह इस पर निर्भर करेगा कि हाईकोर्ट इस मामले में अंतिम फैसला क्या देता है।